जिन व्यक्ति की तस्वीर हम हर पाठशाला दफ्तर अदालत घर में देखते हैं जिनकी तस्वीर हम भारत की मुद्रा में भी देखते हैं। जिनके आदर्श विचार और कार्य को आज भी पूरी दुनिया याद करती है वह महान व्यक्ति और कोई नहीं महात्मा गांधी जी ही हैं
महात्मा गांधी एक भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ सामाजिक कार्यकर्ता और महान लेखक थे भारत को आजादी दिलाने में गांधीजी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है उन्होंने बहुत सारे आंदोलन चलाए हैं भारत को आजाद कराने के लिए इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता कहते हैं और बच्चे प्यार से ने बापू कह कर भी पुकारते थे
1.परिचय
(i)गांधी जी का जन्म
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में गुजरात के पोरबंदर नामक गांव में हुआ था
(ii) गांधी जी का पूरा नाम
महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
(iii)गांधी जी का बचपन का नाम
गांधी जी को बचपन में उनका परिवार मोनिया कहकर पुकारते थे।
(iv)गांधी जी के पिता का नाम
महात्मा गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। उनके पिता पोरबंदर जिले में दीवान का काम करते थे
(v)गांधी जी की माता
महात्मा गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था वह एक धार्मिक महिला थी उन्होंने अपना पूरा समय मंदिर और परिवार में ही दिया
(vi)गांधी जी का विवाह एवं पत्नि
महात्मा गांधी जी का विवाह सन् 1883 में कस्तूरबा गोकुलदास कपाड़िया के साथ हुआ था। इस समय वह सिर्फ 13 वर्ष के थे।
(vii)महात्मा गांधी जी की पत्नि का नाम
गांधी जी की पत्नि का नाम कस्तूरबा गांधी था। वह एक संपन्न परिवार से थीं।आदर्श पत्नी की तरह गांधीजी के हर काम में उन्होंने पूरा सहयोग दिया इसलिए लोग उन्हें प्यार से बा कह कर पुकारते थे
(viii) गांधी जी का परिवार
गांधीजी के तीन भाई थे और यह सबसे छोटे भाई थे उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था उनका विवाह कस्तूरबा से हुआ था गांधीजी के चार संतान थी। जब वह 16 वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।
2. गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा
गांधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ और मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई उन्होंने यहीं की। उसके बाद हाई स्कूल की पढ़ाई राजकोट में पूरी की। प्रवेशिका परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद वे कानून की पढ़ाई के लिए सन 1888 में इंग्लैंड गए। प्रारंभ में उन्होंने इंग्लैंड की जीवन शैली की नकल करने की कोशिश की कुछ समय के बाद महसूस किया कि यह ठीक नहीं है इसलिए उन्होंने सादा जीवन बिताना शुरू किया। बैरिस्टर बनने के बाद वे 1891 में भारत लौट आए। उसके बाद उन्होंने मुंबई के उच्च न्यायालय में वकालत प्रारंभ की।
3.गांधी जी दक्षिण अफ्रीका क्यों गए थे ?
एक व्यापारी के मुकदमे के संबंध में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए थे। वहाँ उन्होंने देखा कि यूरोप के लोग भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करते थे। उन्होंने उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्हें जेल भी जाना पड़ा लेकिन संघर्ष को स्थगित नहीं किया। अंत में वे भारतीयों की दशा सुधारने में सफल हो गए।
4.गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका कब गए थे ?
सन 1893 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए थे।
5.महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे?
दक्षिण अफ्रीका 21 वर्ष तक दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद 9 जनवरी 1915 को गांधीजी दक्षिण अफ्रीका को हमेशा के लिए छोड़ कर भारत वापस आ गए थे। इसलिए इस दिन को भारतीय प्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
6.महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन
भारत देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी जी ने बहुत सारे आंदोलन किए। उनमें से सात प्रमुख आंदोलन थे –
1.चंपारण
2.खेड़ा
3.रोलेट एक्ट का विरोध
4.नमक सत्याग्रह
5.असहयोग आंदोलन
6.दलित आंदोलन
7.भारत छोड़ो आंदोलन
क्रमांक | आंदोलन | वर्ष |
1. | चंपारण | 1917 |
2. | खेड़ा | 1918 |
3. | रोलेट एक्ट का विरोध | 1919 |
4. | असहयोग आंदोलन | 1920 |
5. | नमक सत्याग्रह | 1930 |
6. | दलित आंदोलन | 1934 |
7. | भारत छोड़ो आंदोलन | 1942 |
1.चंपारण आंदोलन
यह भारत का सबसे पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था। 1917 में गांधीजी बिहार में आए और उन्होंने चंपारण जिले के नील की खेती करने वाले किसानों किसानों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने अंग्रेज जमीदारों के विरुद्ध सत्याग्रह आरंभ कर दिया।
2. खेड़ा आंदोलन
खेड़ा गुजरात का एक गाँव है जो बाढ़ की चपेट में आ गया था। किसान उस समय कर नहीं दे पा रहे थे। तब 1918 में गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान शुरू कर किसानों को अकाल समाप्त होने तक राजस्व कर के भुगतान में ढील दिलवाई।
3. रोलेट एक्ट का विरोध
रोलेट एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है। इस एक्ट के अनुसार वायसराय के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार था। 1919 में इस एक्ट को अमल किया गया था। गांधी जी के नेतृत्व में पूरे देश ने इसका विरोध किया।
4. असहयोग आंदोलन
इतने आंदोलन करने के बाद गांधी जी को आज एहसास हुआ कि अंग्रेज केवल भारतीयों से मिलने वाले सहयोग की वजह से भारत में रह रहे हैं। उन्होंने सभी लोगों को समझाया कि अगर स्वतंत्रता चाहिए तो असहयोग आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है 1920 में उन्होंने यह आंदोलन शुरू किया।
5. नमक सत्याग्रह
महात्मा गांधी जी ने जितने भी आंदोलन किए थे उनमें से सबसे महत्वपूर्ण नमक सत्याग्रह था। इस आंदोलन को दांडी यात्रा या दांडी मार्च भी कहा जाता है। यह सत्याग्रह 1930 में अंग्रेजों द्वारा लागू नमक कर के विरोध में किया गया था। गांधीजी ने अहमदाबाद से साबरमती आश्रम से दांडी गाँव तक 388 किलोमीटर की यात्रा पैदल की।
6. दलित आंदोलन
देश में अंग्रेजों की तानाशाही के साथ-साथ छुआछूत भी फैला हुआ था। छुआछूत को खत्म करने के लिए गांधी जी ने देश भर में हरिजन यात्रा की। 1934 में हरिजन सेवक संघ का गठन किया। गांधी जी हरिजन दलितों पर आधारित बहुत सारे लेख भी लिखे जैसे ‘हरिजन’, ‘हरिजन बंधु’ और ‘हरिजन सेवक’
7. भारत छोड़ो आंदोलन
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब अंग्रेजों ने भारतीयों को सेना में भर्ती करना शुरू किया तो गांधीजी ने इसका जोरदार विरोध किया। इस आंदोलन में गांधीजी ने ‘करो या मरो’ का नारा देकर भारतीयों को आक्रोशित किया। फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने भारत को आजाद करने का फैसला किया। यह आंदोलन सन 1942 से 1947 तक चला।
महात्मा गांधी के बेटों के नाम
गाँधी जी के चार बेटे थे -हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
गांधी जी की मृत्यु
30 जनवरी 1948 की शाम महात्मा गांधी आभा(गायक ) और मनु(रिश्तेदार) के साथ प्रार्थना सभा की ओर जा रहे थे। तभी बाईं तरफ से नाथूराम गोडसे ने मनु को धक्का दिया जिससे माला और पुस्तक नीचे गिर गई जैसे ही मनु पुस्तक उठाने झुकीं , नाथूराम गोडसे ने पिस्टल निकाली और तीन गोलियाँ गांधीजी को मार दी। गांधीजी 5:17 पर इस दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए। अंत समय में गांधी जी के मुख से ‘हे राम’ शब्द निकले थे। गांधी जी की समाधि को नई दिल्ली के राजघाट पर बनाया गया है।
महात्मा गांधी की उपाधियाँ
महात्मा की उपाधि
जुलाई 1915 में जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे तब रबीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी। गांधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों के लिए किए गए संघर्ष के कारण उन्हें यह उपाधि दी।
बापू की उपाधि
बिहार चम्पारण के एक किसान राजकुमार शुक्ल ने 27 फरवरी 1917 में गांधी जी को एक पत्र लिखा था जिसमें चम्पारण में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए आग्रह किया था उस पत्र में पहली बार राजकुमार शुक्ल ने गांधीजी को बापू कह कर सम्बोधित किया था।
राष्ट्रपिता की उपाधि
6 जुलाई 1944 को सिंगापुर में हो रहे एक रेडियो प्रसारण के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।
मैन ऑफ़ लैटर्स की उपाधि
गाँधी जी ने अपने जीवन काल में बहुत सारे लेख ,पत्र ,पत्रिकाएँ और किताबें लिखीं इसलिए उन्हें मैन ऑफ़ लैटर्स भी कहते हैं।
क्रमांक | उपाधि | वर्ष | किसने दी |
1. | महात्मा की उपाधि | जुलाई 1915 | रबीन्द्रनाथ टैगोर |
2. | बापू की उपाधि | 27 फरवरी 1917 | राजकुमार शुक्ल |
3. | राष्ट्रपिता की उपाधि | 6 जुलाई 1944 | नेताजी सुभाष चंद्र बोस |